नई दिल्ली , 21 फरवरी (इंविसंके). रविवार को नई
दिल्ली में ‘‘ देश बचाने के लिए ‘‘ पीपल मार्च फ़ॉरयूनिटी ‘‘ राजघाट से संसद मार्ग तक पूर्व सैन्य
अधिकारियों के नेतृत्व में पीपल फॉर नेशन द्वारा अभूतपूर्व रैली निकाली गयी.
राजघाट से संसद मार्ग तक हुए इस अद्वितीय विशाल मार्च का उद्देश्य देश की एकता,
अखंडता, संप्रभुता की रक्षा करना था. मार्च आरम्भ होने से पहले इन पूर्व सैन्य अधिकारियों एडमिरल
शेखर सिन्हा, एयर मार्शल पी.के. रॉय, लेफ्टिनेंट जन. रवि साहनी, लेफ्टिनेंट जन. सिन्हा, लेफ्टिनेंट जन. संदीप सिंह, लेफ्टिनेंट जन. आर.एन. सिंह, मेजर जन. राज मल्होत्रा, मेजर जन. चक्रवर्ती, मेजर जन. विजय ढाल और मेजर जन. एन.एन.गुप्ता ने महात्मा
गाँधी की समाधि राजघाट पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद लगभग 5 लाख लोगों के
जनसमूह की अगुवाई करते हुए यहाँ से संसद मार्ग तक पैदल मार्च किया. इस अभूतपूर्व मार्च में दिल्ली-एनसीआर
की विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनिअर, कला जगत,
अधिवक्ता, आईटी से जुड़े लोगों ने उच्च शिक्षण संस्थाओं में सक्रिय देशद्रोहियों का
विरोध करते हुए राष्ट्र के प्रति एकजुटता दिखाई.
से.नि. मेजर जनरल श्री ध्रुव सिंह कटोच ने संसद
मार्ग में जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के अन्दर कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी
तादाद कुछ है वो लोग भाषण देते हैं कि हम देश को तोड़ेंगे उसका जवाब साफ है और सीधे
अर्थों में है कि हम देश को जोड़ेंगे और जोड़ते रहेंगे.
मेजर जन. चक्रवर्ती ने कहा कि जो बात-बात पर
देश के अपमान की बात करते हैं और हर क्षण टुकड़े-टुकड़े करने की बात करते हैं शायद
वो भूल रहे हैं कि यह देश सुभाष चन्द्र बोस, शिवाजी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद,
तात्या टोपे, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मी बाई जैसे वीर-वीरांगनाओं का यह देश है.
नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था, ‘इस देश का मान-सम्मान और गौरव भारतीय तिरंगा
है. जो कभी झुका नहीं है, इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों इसे झुकने न देना. मैं आप
सभी से आग्रह करता हूँ कि जो इस देश की एकता-अखंडता में विघ्न डालने की कोशिश
करेगा या करने की सोचता है, उसे एकजुट होकर जवाब दें.
एयर मार्शल श्री पी.के. रॉय ने बताया कि इस मार्च उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ देश को
जोड़ना है, विघटनकारी ताकतों से देश की एकता और
अखंडता की रक्षा करने के लिए लोगों को जागरूक करना है. उन्होंने बताया कि पीपल फॉर
नेशन किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है और न ही किसी राजनीतिक पार्टी का
समर्थन करता है. यह माँ भारती की संप्रभुता को बचाने के लिए वचनबद्ध है. उन्होंने
कहा कि देश के सभी नागरिकों को राष्ट्र की एकता-अखंडता और सुरक्षा के प्रति एकजुट
कर, देश प्रेम का भाव जागृत करने का हमारा
प्रयास इस अभूतपूर्व जनसमूह के आने से सफल हुआ है. और उन लोगों को भी सही सन्देश
मिला है जो देश के टुकड़े करना चाहते हैं. उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया, लेकिन राष्ट्र की एकता-अखंडता को
सर्वोपरी बताते हुए बताया के जब राष्ट्र है तभी विचार की अभिव्यक्ति हो सकती. जब
राष्ट्र ही नहीं रहेगा तो किसी भी अभिव्यक्ति की कल्पना नहीं की जा सकती.
इंडियन डेमोक्रेसी में हमें फ्रीडम ऑफ स्पीच की
आजादी दी है वहीँ दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहाँ पर उस देश की डेमोक्रेसी में
अपने नागरिकों को यह अधिकार नहीं दिया है. शायद, इसी कारण भारत को विश्व के बाकी
देश केयरिंग, उदार, हम्बल, प्रकृति और मानव प्रेमी मानते हैं.
से.नि. एडमिरल शेखर सिन्हा ने देशवासियों से
आवाहन करते हुए कहा कि भारत की शान तिरंगे को कभी झुकने नहीं देना, क्योंकि यही
हमारी आन-बान-शान और एकता का प्रतीक है. इस तिरंगे के साथ 4.5-5 लाख भारत वासियों
को आज इस मार्च में देखकर एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि इस देश में राष्ट्रवादी
भारतीयों की की संख्या उन देशद्रोहियों से
बहुत ज्यादा है.
लेफ्टिनेंट जन. आर.एन. सिंह ने जनसमूह को
संबोधित करते हुए कहा कि हम सब भारतवासी ही माँ भारती की शक्ति हैं. आप लोगों ने
इस मार्च में शामिल होकर उन चंद जयचंदों को यह सन्देश दे दिया है कि हम से पहले
हमारी मातृभूमि है अर्थात हम अपनी माँ से बेइंतिहा मुहब्बत करते हैं और मातृभूमि के
गौरव के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे.
यहाँ पर जो यूथ का सैलाब देखने के लिए मिल रहा
है वो भारत को छोड़कर विश्व के किसी अन्य देश में नहीं मिल सकता और इस यूथ को हम सही
दिशा दें तो फिर से भारत दुनिया का सर्व शक्तिशाली देश एवं विश्व गुरु बन जायेगा.
भूतपूर्व जस्टिस गंजू के पोते सिद्धार्थ गंजू
ने जेएनयू मामले पर कहा कि कुछ दिन पहले मीडिया के माध्यम से देखा-सुना-पढ़ा कि देश
के एक महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान में चंद लोगों द्वारा खुलेआम देश विरोधी
प्रोटेस्ट हुआ था. जिससे मुझे तीन दशक पूर्व कश्मीर का वो मंजर याद आ गया जो कुछ
वैसा ही था. उस समय भी कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में अलगाववादियों द्वारा मेरे
दादा जी के खिलाफ दिया गया था मकबूल हम शर्मिंदा हैं तेरा कातिल अब भी जिन्दा है,
और उसी के कुछ दिन बाद मेरे दादा जी को सरेआम दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया गया
था.
पीपल फॉर नेशन द्वारा जेएनयू में घटित राष्ट्र
विरोधी गतिविधियों के खिलाफ इस अभूतपूर्व मार्च में शामिल हुए दिल्ली-एनसीआर से आये
लगभग 5 लाख लोगों के जनसमूह को सेना के भूतपूर्व अधिकारियों ने बताया कि 1 - भारत एक देश है। संविधान सभा ने 06 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया था। इसकी
प्रस्तावना में ‘भारत के लोग’ देश की एकता के लिए कृत संकल्प वर्णित
किए गए हैं।
2 - देशभक्ति
की भावना रखने वाला देश का हर नागरिक गत 9
फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
(जेएनयू) में लगाए गए आपत्तिजनक नारों से आहत है। इन नारों में प्रमुख हैं:
- भारत
की बर्बादी तक , कश्मीर की आज़ादी तक , जंग रहेगी, जंग रहेगी
- गो
बैक इंडिया, गो बैक
- भारत
के सौ टुकड़े होंगे , इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह
3 - इसी
तरह के कुछ दूसरे नारों की गूंज जादवपुर विश्वविद्यालय और अन्य स्थानों पर भी
सुनाई दी गई। कश्मीर में कुछ लोगों के द्वारा जेएनयू को धन्यवाद करते हुए रैलियां
आयोजित की गईं। हमारी जानकारी में यह भी आया कि ऐसे ही नारे अन्य विश्वविद्यालयों
में भी दोहराए गए हैं।
4 - साफ
मालूम पड़ता है कि भारत को तोड़ने के लिए संभवतः विदेशी रुपयों की मदद लेकर आतंकी
ताकतों द्वारा की गई यह एक सुनियोजित कोशिश है। भारत की एकता और संप्रभुता को बनाए
रखने हेतु ऐसे प्रयासों पर काबू पाने के लिए लोगों और सरकार द्वारा हर स्तर पर
समाधान किए जाने की ज़रूरत है।
5 - संविधान
में दी गई अभिव्यक्ति की आज़ादी असीमित नहीं है। 16 वें संशोधन के बाद , भारत
की संप्रभुता और अखंडता के हित में पर्याप्त प्रतिबंधों का प्रावधान किया गया है।
6 - भारत
की सैन्य सेवाओं में सेवा करना हमारे लिए गर्व की बात है। ऐसा कहा जाता है कि ‘जो
एक बार सैनिक, वो जीवनभर सैनिक’ । देश की एकता के लिए हमारी
प्रतिबद्धता हमें प्रेरित करती है
7 - महात्मा
गांधी जी ने कहा था, ‘‘ विविधताओं में एक रहने की हमारी
योग्यता ही हमारी सुंदरता और हमारी सभ्यता की परख होगी। ‘‘ हमारा यह ‘ यूनिटी मार्च ‘ ‘ देश को बचाने ‘ के उद्देश्य से आयोजित किया है। हमारे
संविधान को बचाने के लिए किया गया है। अभिव्यक्ति की आज़ादी भारत को बांटने की
कोशिशों के लिए लाइसेंस के रूप में प्रयोग नहीं की जा सकती।
8 - भारत
एक है और एक ही रहेगा।
9 – देशवासियों से हमारी यह अपील है कि
मातृभूमि की आज़ादी और अखंडता की सुरक्षा में लगे हमारे प्रयासों और बलिदानों के
लिए शपथ लेने को तैयार हों।
1 Comments
Well done!
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