Samarasta Sangam conclave at Agra, Braj


सामाजिक समरसता के लिए सभी का एकत्रीकरण जरूरी-श्रीमोहन जी भागवत

संघ का कार्य ही संपूर्ण समाज में समरसता स्थापित करना है। देश के साथ ही संपूर्ण विश्व में समरसता स्थापित करना है। जब हम समूह में खड़े होते हैं तब एकता की आवश्यकता पड़ती है। व्यक्ति को खड़ा होना है तो सभी अंगों का ठीक होना जरूरी है। इसी प्रकार समरसता के लिए सभी का एकत्रीकरण जरूरी है। यह बात शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आगरा विभाग द्वारा आयोजित विशाल स्वयंसेवक एकत्रीकरण समरसता संगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प.पू. सरसंघचालक श्री मोहन राव भावगत जी ने कही। 


अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम सब एक हैं, इसका मतलब यह नहीं कि मैनें भोजन कर लिया, तो हो गया। सब अलग हैं यह दुनिया का चलन है लेकिन भारत का नहीं। उन्होंने कहा साधन हैं, लेकिन कम हैं। ऐसे में हमें चलना नहीं, दौड़ना है। जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। जो बलवान है उसकी विजय होती है और दुर्बल की पराजय। इसलिए बलवान बनो, बलवान के साथ बुद्धि होती है तो अपने बल का प्रयोग सब के लिए करता है। उन्होंने कहा कि अच्छा सोचने वाले और खराब सोचने वालों में संघर्ष होता है। यह हमने पिछले दो हजार वर्षो में देखा भी है। दूसरों के दुःख पर सुख पर जीने वाले ज्यादा है। प.पू.सरसंघचालक जी ने कहा कि आज दुनिया बड़ी आशा से भारत की ओर देख रही है। भारत की परंपरा कहती है कि हम दिखते अलग-अलग है लेकिन हैं एक ही। एक होने पर अलग-अलग व्यवहार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विविधता के मूल में एकता है और एकता ही विविधता बनी है। हम मानव ही नहीं वरन पशु में भी अपने आप को देखते हैं। उन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण देते हुए कहा कि दक्षिणेश्वर के पंचवटी में गाय घास खाते हुए गंगा नदी की ओर गई तो गाय के खुर से मिट्टी के रूदने के चिन्ह परमहंस की छाती पर दिखे, ऐसा वृतांत कहा जाता है। इसलिए यहां अस्तित्व को लेकर संघर्ष नहीं है। सरसंघचालक जी ने कहा कि सारी पृथ्वी हमारा कुटुम्ब है। सत्य का पालन करो। किसी दूसरे के माल की इच्छा न करो। आवश्यकता से ज्यादा संग्रह मत करो। उन्होंने कहा कि कमाते कितना हो, इसका महत्व नहीं है, देते कितना हो इसकी महत्ता है। जो शाश्वत है वह एक है। उन्होंने कहा कि स्वार्थ के आधार पर एकता नहीं आती। जो मेरे अंदर है, वह सभी के अंदर है। उन्होंने कहा कि हमारी आत्मीयता का दायरा जितना बढ़ेगा, उतनी एकता बढ़ेगी। सरसंघचालक जी ने कहा कि भारत में समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज बनाना होगा। दुनिया भारत की ओर देख रही है। इसलिए समन्वय से चलो। गाय, तुलसी, नदी को माता मानों। माता के प्रति आत्मीयता का भाव रखो। एकता से त्याग का साक्षात्कार करो तो जीवन के सभी लक्ष्य पूरे हो जाएंगे। सरसंघचालक जी ने कहा कि हम वर्षो से भ्रम के कारण अपने ही लोगों से लड रहे हैं। हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और भारत माता की रक्षा के लिए पूरे समाज को खड़ा होना पड़ेगा। हमारी मातृभूमि भारत है। हम उस परंपरा से हैं, जहां पर हमारो पूर्वजों ने खून-पसीना बहाया है। सुविधा-असुविधा में भी हम सुख से रहते हैं। सनातन हिन्दू संस्कृति को भारतीय संस्कृति कहते हैं। 

सरसंघचालक जी ने कहा कि हजारो वर्षो से हमारे भीतर विषमता की आदतेें पड़ी हैं। व्यायाम योग द्वारा इसे दूर करना होगा। उन्होंने कहा संघ इसी विषमता को दूर करने का कार्य कर रहा है। यहां स्वार्थ नहीं है। देना ही देना है। कोई किला फतह नहीं करना। तन, मन भारत माता को समर्पित करना है। संघ की कार्यपद्धिति और प्रार्थना के प्रारंभ और अंत में भारत माता की जय बोली जाती है। स्वयंसेवक बाहर की दुनिया को भूलकर अपने राष्ट्र का वंदन करता है। उन्होंने कहा कि आज संघ के स्वयंसेवको द्वारा एक लाख 70 हजार से ज्यादा सेवा कार्य किए जा रहे हैं। वंचितों के लिए सुदूर प्रांतों में कार्य किए जा रहे हैं। आपदा में राहत कार्यो में स्वयंसेवक ही पहले पहुंचता है। आज संघ के विचारों से विपरीत विचार रखने वाले भी संघ के सेवा कार्यो की चर्चा करते हैं। उन्होंने कहा कि संघ बाहर से समझ में नहीं आएगा। शाखा में जुटें और सक्षम भारत का निर्माण करें। सरसंघचालक जी के बौद्धिक से पूर्व आगरा विभाग से आए स्वयंसेवकों द्वारा योग-व्यायाम किया। कार्यक्रम में एकल गीत के बाद में सरसंघचालक जी का बौद्धिक प्रारंभ हुआ। इससे पूर्व विद्यार्थियों ने घोष से निकलनी मधुर ध्वनों के बीच ध्वजारोहण किया गया। ध्वज के बाद प्रार्थना की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रांत भर से उपस्थित संतगण व मातृशक्ति की सहभागिता रही। कार्यक्रम में आगरा विभाग से आगरा महानगर, फतेहाबाद, फतेहपुर सीकरी, रामबाग जिलों के स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। 

कार्यक्रम में मंचासीन प्रांत संघचालक जगदीश वशिष्ठ व विभाग संघचालक हरीशंकर रहे। अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश जी, संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री श्री योगेंद्र बाबा, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य दिनेश जी, क्षेत्र प्रचारक अलोक जी, प्रांत प्रचारक हरीश जी, प्रांत कार्यवाह राजपाल, सह प्रांत प्रचारक मुनेश जी, विभाग प्रचारक धर्मेंद्र जी, हिन्दू जागरण मंच के प्रांत संगठन मंत्री उमाकांत जी, सेवा भारती के सतीश अग्रवाल जी, प्रांत प्रचार प्रमुख केशवदेव शर्मा, सुभाष वोहरा, मजदूर संघ के प्रदेश सह संगठन मंत्री शंकरलाल जी, प्रंात संपर्क प्रमुख प्रमोद शर्मा, विशेष संपर्क प्रमुख अशोक कुलश्रेष्ठ, विहिप के प्रांत संगठन मंत्री मनोज जी, महानगर प्रचारक गोविंद जी, धर्मजागरण के दिनेश, प्रांत सह सेवा प्रमुख श्यामकिशोर जी, विभाग बौद्धिक प्रमुख राजीव सिंह, सह बौद्धिक प्रमुख संजय मगन, सह विभाग प्रचारक प्रमोद, सह संपर्क प्रमुख प्रमोद चैहान, प्रांत बौद्धिक प्रमुख देवराज, सह कार्यवाह सुनील एवं रमेश, प्रंात शारीरिक शिक्षा प्रमुख प्रदीप श्रीवास्तव, महानगर कार्यवाह अरविंद, सह कार्यवाह खगेश कुमार, विभाग प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी, महानगर प्रचार प्रमुख विनीत शर्मा, आदेश तिवारी, अतिथियों का परिचय विभाग कार्यवाह पंकज खंडेलवाल ने कराया। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक संतोष जी रहे। कार्यक्रम में संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों से पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

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