One lakh participants sang ‘Vande Mataram’ in one voice, in an event ‘Voice of Unity’ organized by Hindu Spiritual and Service Foundation, Jaipur and created a record in our history. Rajasthan Chief Minister Vasundhara Raje, RSS Akhil Bharathiya Sah Seva Pramuk Shri Gunawant Singh, Vishwa Vibhag Shri Ravikumar, Akhil Bharatiya Sah Sharirik Shikshana Pramuk Shri Jagdish Ji, Sah Baudhdhik Pramuk Shri Mukund Ji, Kshetra Pracharak Shri Durgadass Ji participated in the event.
504 musicians from all parts of the country played different instruments. Jaipur will witness a mega seva mela from 205 seva organizations from 23rd to 26th September. 2016. CM Vasundhara Raje in her speech said that this event will give a great message that our citizens are dedicated and are patriotic.
504 musicians from all parts of the country played different instruments. Jaipur will witness a mega seva mela from 205 seva organizations from 23rd to 26th September. 2016. CM Vasundhara Raje in her speech said that this event will give a great message that our citizens are dedicated and are patriotic.
एक लाख लोगों ने एक साथ वन्देमातरम् गाकर रिकार्ड बनाया
विसंकेंजयपुर
हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन, जयपुर के तत्वावधान में अमरूदों के बाग जयपुर में लगभग एक लाख से अधिक लोगों ने एक साथ राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का गायन करके रिकार्ड बनाया. इनमें देश भर से आये 504 कलाकारों ने 18 प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ मंच पर भगवा, श्वेत एवं हरे रंग के परिधानों में वाद्य कला का प्रदर्शन किया. पं. आलोक भट्ट के संगीत निर्देशन में पूरे 100 मिनट संगीतमय कार्यक्रम में श्रोता रस विभोर रहे. विक्रम हाज़रा और सौम्य ज्योतिघोष द्वारा बांसुरी पर संगत की गई तो शंख वादन जयकिशन और अश्विनी घोष द्वारा किया गया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह जी, विश्व विभाग के सह संयोजक रवि कुमार जी, संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश जी, सह बौद्धिक प्रमुख मुकुंद जी, क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
शंख वादन से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में सभी 504 कलाकारों और श्रोताओं द्वारा पूरा साथ निभाया गया. सर्वप्रथम गणेश वन्दना के बाद देशभक्ति गीत पर उपस्थित जनों ने तालियों से लय में लय मिलायी. तत्पश्चात विभिन्न देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति के बाद अन्त में एक साथ खड़े होकर राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का सामूहिक गायन हुआ जो देश ही नहीं वरन् विश्व के इतिहास में शायद एक रिकार्ड है.
गुणवंत सिंह जी ने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष पूर्व शिकागो में स्वामी विवेकानन्द ने मेरे भाईयों और बहनों के सम्बोधन से सम्बोधित किया था. पहली बार लोगों ने लेडीज एण्ड जेण्टलमैन के स्थान पर जब प्यारे भाईयो और बहनों सुना तो हिन्दू संस्कृति का तालियों से स्वागत हुआ. सन् 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन किया तो बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा सन् 1876 में लिखित इस गीत (वंदे मातरम्) ने राष्ट्र भाव की ज्वाला पैदा की तो अंग्रेजों को बंगाल विभाजन के आदेश को वापस लेना पड़ा. तब से अब तक यह गीत देशवासियों में राष्ट्रभाव की अलख जगा रहा है. इस गीत का एक एक शब्द देश भक्ति से ओत-प्रोत है. उन्होंने कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित करने का उद्देश्य हिन्दू समाज की भिन्न-भिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों, साधू संतों, मंदिर मठों द्वारा प्राणी मात्र हित में निःस्वार्थ भाव से जो सेवाएं दी जा रही हैं, उनका परिचय जन-जन को कराना है. वर्तमान समय में पर्यावरण सुरक्षा का संकट है, नारी के प्रति सम्मान में कमी हुई है, मानवीय मूल्यों में कमी हुई है, जिन्हें दूर करने के लिये सारा विश्व भारत की ओर देख रहा है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला इन सब समस्याओं का समाधान देने का मंच हो सकता है. उन्होंने अरनाल टायनी, कॉफी अन्नान द्वारा कही गई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुयायी ही बिना धर्म परिवर्तन कराये पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ायें. उन्हें विश्वास है कि विश्व जिस विकट स्थिति में है, उससे निकालने का कार्य हिन्दू ही कर सकते हैं. विश्व हमसे जो चाहता है, उसे हम आगामी 10-15 वर्षों में पूरा करने का संकल्प लें. भारत के परिवारों में रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय की और दूसरी कुत्ते की बनाते हैं, जिससे सेवा भाव जगता है. सितम्बर 23 से 26 तक चलने वाले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में 205 सेवा संस्थाओं द्वारा सेवाओं का प्रकटीकरण किया जाएगा.
मुख्य अतिथि राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस कार्यक्रम की गूंज पूरे देश में होगी. यह कार्यक्रम सब लोगों के लिये राष्ट्रभाव सीखने का है. कुछ दिनों पूर्व तिरंगा यात्रा कार्यक्रम हुआ. उसमें एक दो जगह दुर्घटनाएं हुई, जिन लोगों ने तिरंगा झण्डा अपने हाथ में ले रखा था, वे भी घायल हुए. किन्तु उन्होंने कहने के बाद भी अपने हाथ से यह कहते हुए झण्डा नहीं छोड़ा कि देश का जवान मरते दम तक राष्ट्रध्वज को नहीं छोड़ता तो थोड़ी सी चोट के कारण मैं क्यों छोडूं. वन्दे मातरम् जीवन का लक्ष्य है. हिन्दू एक रिलीजन नहीं है, यह जीवन जीने की पद्धति है. इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि आज लोग घर से बाहर निकल कर एक दूसरे को देख कर मुस्कराना ही भूल गये. उन्होंने आग्रह किया कि वन्दे मातरम् के साथ यह संकल्प भी लें कि हम एक दूसरे को प्यार से देखेंगे, सबसे प्यार से मिलेंगे, गले मिलना होगा गले मिलेंगे. उन्होंने प्रतिज्ञा करवाई.
600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए
कार्यक्रम में लगभग 600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए. थे जिन्होंने वन्देमातरम् सांकेतिक भाषा में गाया. कार्यक्रम में तीन अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों ने भी शिरकत की. कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति जोशी ने किया. पंडाल में श्रोताओं को बिठाने की व्यवस्था में सैकड़ों कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा, राजस्थान पुलिस के सिपाहियों ने भी तत्परता से सहयोग किया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह जी, विश्व विभाग के सह संयोजक रवि कुमार जी, संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख जगदीश जी, सह बौद्धिक प्रमुख मुकुंद जी, क्षेत्रीय प्रचारक दुर्गादास जी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
शंख वादन से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में सभी 504 कलाकारों और श्रोताओं द्वारा पूरा साथ निभाया गया. सर्वप्रथम गणेश वन्दना के बाद देशभक्ति गीत पर उपस्थित जनों ने तालियों से लय में लय मिलायी. तत्पश्चात विभिन्न देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति के बाद अन्त में एक साथ खड़े होकर राष्ट्रगीत वन्देमातरम् का सामूहिक गायन हुआ जो देश ही नहीं वरन् विश्व के इतिहास में शायद एक रिकार्ड है.
गुणवंत सिंह जी ने कहा कि डेढ़ सौ वर्ष पूर्व शिकागो में स्वामी विवेकानन्द ने मेरे भाईयों और बहनों के सम्बोधन से सम्बोधित किया था. पहली बार लोगों ने लेडीज एण्ड जेण्टलमैन के स्थान पर जब प्यारे भाईयो और बहनों सुना तो हिन्दू संस्कृति का तालियों से स्वागत हुआ. सन् 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन किया तो बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा सन् 1876 में लिखित इस गीत (वंदे मातरम्) ने राष्ट्र भाव की ज्वाला पैदा की तो अंग्रेजों को बंगाल विभाजन के आदेश को वापस लेना पड़ा. तब से अब तक यह गीत देशवासियों में राष्ट्रभाव की अलख जगा रहा है. इस गीत का एक एक शब्द देश भक्ति से ओत-प्रोत है. उन्होंने कहा कि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित करने का उद्देश्य हिन्दू समाज की भिन्न-भिन्न संस्थाओं, व्यक्तियों, साधू संतों, मंदिर मठों द्वारा प्राणी मात्र हित में निःस्वार्थ भाव से जो सेवाएं दी जा रही हैं, उनका परिचय जन-जन को कराना है. वर्तमान समय में पर्यावरण सुरक्षा का संकट है, नारी के प्रति सम्मान में कमी हुई है, मानवीय मूल्यों में कमी हुई है, जिन्हें दूर करने के लिये सारा विश्व भारत की ओर देख रहा है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला इन सब समस्याओं का समाधान देने का मंच हो सकता है. उन्होंने अरनाल टायनी, कॉफी अन्नान द्वारा कही गई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि हिन्दू धर्म के अनुयायी ही बिना धर्म परिवर्तन कराये पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ायें. उन्हें विश्वास है कि विश्व जिस विकट स्थिति में है, उससे निकालने का कार्य हिन्दू ही कर सकते हैं. विश्व हमसे जो चाहता है, उसे हम आगामी 10-15 वर्षों में पूरा करने का संकल्प लें. भारत के परिवारों में रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय की और दूसरी कुत्ते की बनाते हैं, जिससे सेवा भाव जगता है. सितम्बर 23 से 26 तक चलने वाले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में 205 सेवा संस्थाओं द्वारा सेवाओं का प्रकटीकरण किया जाएगा.
मुख्य अतिथि राज्य की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस कार्यक्रम की गूंज पूरे देश में होगी. यह कार्यक्रम सब लोगों के लिये राष्ट्रभाव सीखने का है. कुछ दिनों पूर्व तिरंगा यात्रा कार्यक्रम हुआ. उसमें एक दो जगह दुर्घटनाएं हुई, जिन लोगों ने तिरंगा झण्डा अपने हाथ में ले रखा था, वे भी घायल हुए. किन्तु उन्होंने कहने के बाद भी अपने हाथ से यह कहते हुए झण्डा नहीं छोड़ा कि देश का जवान मरते दम तक राष्ट्रध्वज को नहीं छोड़ता तो थोड़ी सी चोट के कारण मैं क्यों छोडूं. वन्दे मातरम् जीवन का लक्ष्य है. हिन्दू एक रिलीजन नहीं है, यह जीवन जीने की पद्धति है. इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि आज लोग घर से बाहर निकल कर एक दूसरे को देख कर मुस्कराना ही भूल गये. उन्होंने आग्रह किया कि वन्दे मातरम् के साथ यह संकल्प भी लें कि हम एक दूसरे को प्यार से देखेंगे, सबसे प्यार से मिलेंगे, गले मिलना होगा गले मिलेंगे. उन्होंने प्रतिज्ञा करवाई.
600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए
कार्यक्रम में लगभग 600 दिव्यांग बच्चे व युवा भी सम्मिलित हुए. थे जिन्होंने वन्देमातरम् सांकेतिक भाषा में गाया. कार्यक्रम में तीन अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों ने भी शिरकत की. कार्यक्रम का संचालन डॉ. ज्योति जोशी ने किया. पंडाल में श्रोताओं को बिठाने की व्यवस्था में सैकड़ों कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा, राजस्थान पुलिस के सिपाहियों ने भी तत्परता से सहयोग किया.
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