Believe Bharath; Know Bharath; Be Bharath and Make Bharath – Dr. ManMohan Vaidya at the 150th year celebrations of Swami Vivekananda

Dr. Manmohan Vaidya Akhila Bharatha Prachar Pramukh called upon the youth to know our country and it’s legendary at a 150th year celebrations of Swami Vivekananda organized at Geetha Bhawan, Jodhpur. 

His speech:
जोधपुर : स्वामी विवेकानन्द सार्ध शती समारोह के अंतर्गत जोधपुर महानगर का युवा सम्मलेन आज गीता भवन के सभागार में सम्पन्न हुआ . कार्यक्रम के के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख माननीय मनमोहन जी वैध थे।

इस अवसर पर माननीय मनमोहन जी वैध ने विवेकान्द साहित्य का विमोचन किया। प्रारंभ में महानगर अध्यक्ष डा . कैलाश डागा ने मुख्यातिथि का पुष्प गुच्छ देकर अभिनन्दन किया। डागा ने वर्ष पर्यन्त चलने वाले कार्यक्रमों के बारे में बतलाया। विजेन्द्र जी ने काव्य गीत “हे जन्मभूमि भारत” प्रस्तुत किया।
मनमोहन जी ने अपने उद्बोधन में युवा शक्ति से स्वामी विवेकानंद जी के स्वप्न को पूरा करने का संकल्प लेने का आव्हान किया।
कई घटनाओ का वर्णन करते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओ को आत्मसात करने का आग्रह उपस्तिथ युवा शक्ति से किया।

आज की शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए मनमोहन जी ने कि यह आर्थिक उपार्जन की दिशा तो दे रहा है परन्तु जीवन जीने की सही दिशा नहीं दे पा रहा है। जीवन में भटकाव की स्तिथि सी है। जीवन में लक्ष्य तय हो तो दिशा तय हो सकती है। अपने स्थान गाँव,समाज, राज्य तथा राष्ट्र के लिए कुछ करना यह तय करना होगा।

मनमोहन जी ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि कुछ ऐसा करना चाहिए की अन्यो को भी अपने कुछ करने से आनंद आये जैसे की सुगन्धित पुष्प की महक से सभी आन्दन्दित होते है। तभी अपना जीवन सार्थक होगा।

माननीय वैध ने युवाओं के सामने चार सूत्रों को अपनाने का आव्हान किया ये सूत्र है

1. भारत को मानो
2. भारत को जानो
3. भारत के बनो
4. भारत को बनाओ

हमारा राष्ट्र प्राचीनतम है इस स्रष्टि का। हमें इस गौरव को जानना होगा और अगर नहीं जानते है तो हमें अपने प्राचीन इतिहास को पढना होगा जानना होगा।त्याग आधारित संस्कृति हमारी ही है।

मनमोहन जी ने भारत की प्राकृतिक सांस्कृतिक सरंचना को बहुत ही अच्छे ढंग से समझाते हुए कहा की भारत एक जीवन का विचार है। मेरे जीवन में यह विचार दिखाई देना चाहिए . विशिष्ट प्रकार का जीवन ही भारतीयत्व है। भारत का चिंतन भोगवादी नहीं बनना है।
मनमोहन जी ने अपने उधबोधन में कहा की यह तय करले की commitment (प्रतिबद्धता, ) की जीवन में अपनी महत्ता है। संकल्प लेनेग तो दिशा तय होगी और दिशा तय होगी तो जीवन की प्राथमिकतायें बदलेगी। क्या करना और कब करना यह समझ में आ जायेगा। विजय की आकांक्षा दिल में रख कर कोई कार्य किया तो सफलता निश्चित है।

अंत में महानगर युवा आयाम के संयोजक सुभाष गहलोत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम वन्देमातरम गान के साथ संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नन्द कुमार जी,जोधपुर प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी, विभाग प्रचारक चन्द्रसेखर जी तथा महानगर प्रचारक डा। धर्मेन्द्र भी उपस्तिथ रहे।


Post a Comment

0 Comments