मुस्लिम राष्ट्रीय
मंच की इफ़्तार
पार्टी,
आर०एस०एस और इन्द्रेश कुमार.....
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से कल दिल्ली में आयोजित होने वाला इफ़्तार कार्यक्रम पिछले कई दिनों से मुख्यधारा मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. यूं तो रमजान के महीने में इफ्तार आयोजन सामान्य घटना है पर यह आयोजन इसलिये चर्चा में क्योंकि इसके साथ आर०एस०एस को संबद्ध बताया जा रहा है और कहा जा रहा कि संघ मुस्लिमों को रिझाने के लिये उन्हें दावते-इफ़्तार दे रहा है. मीडिया द्वारा लगातार चलाये जा रहे भ्रामक प्रचार के नतीजे में अब कई राष्ट्रवादी लेखक भी संघ को निशाने पर ले रहें हैं कि संघ भी अब तुष्टीकरण की क्षुद्र राजनीति में लिप्त हो गया है. इसलिये आवश्यक है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और संघ के संबंधों को समझा जाये...!!
इस शताब्दी के आरंभिक सालों में अल-कायदा और बिन लादेन नाम का नासूर पूरी मानवजाति के अस्तित्व के लिये संकट बना हुआ था, भारत समेत पूरी दुनिया आये दिन आतंकवादी हमलों का शिकार हो रही थी. बिन लादेन के प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं था. दिल्ली समेत कई शहरों में बिन-लादेन के समर्थन में जूलूस निकाले जाते थे और नारे लगते थे. गुलाम रसूल बलियावी जैसे नेता तो बाकायदा लादेन के हुलिये में नेताओं के साथ नज़र आते थे. ऐसे में मुस्लिम समाज का प्रबुद्ध वर्ग जो इन सबसे आहत था और कसमसा रहा था कि इस्लाम के साथ चस्पां हो चुकी आतंक की इस छवि को मिटाया जाये. इसी कशमकश में 24 दिसंबर, 2002 को दिल्ली में पद्मश्री मुज़फ्फर हुसैन और उतनी धर्मपत्नी नफ़ीसा की कोशिशों से दीपावाली-ईद मिलन कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें संघ की ओर से तत्कालीन सरसंघचालक पू० सुदर्शन जी, मदनदास देवी जी, श्री इन्द्रेश जी समेत संघ और विहिप के कई बड़े नेता और मुस्लिम समाज की ओर से मौलाना वहीदुद्दीन खान, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के सदर मौलाना जमीर इलियासी, फतेहपुरी मस्जिद के मौलाना मुकर्रम समेत कई बड़े उलेमा और बुद्धिजीवी शामिल हुए. कार्यक्रम में तत्कालीन सरसंघचालक सुदर्शन जी ने उपस्थित मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्दिजीवियों के सामने एक प्रश्न रखा कि इस्लाम का अर्थ तो अमन और सलामती है पर दुनिया ने पिछले 1400 वर्षों में इसका बर्बर, हिंसक और जिहादी रूप ही देखा है तो क्या ये आप लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि आप दुनिया को इस्लाम का अमन और सलामती वाला चेहरा दिखाये....??
सुदर्शन जी की बात वहां मौजूद कई लोगों के जेहन में घर कर गई और उनलोगों ने पत्राचार के माध्यम से सुदर्शन जी से लगातार संवाद जारी रखा और इस संवाद के पश्चात् उनमें से कुछ लोग उनके पास आये और देशहित में काम करने, आतंकवाद का विरोध करने तथा हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य की बातों का सार्थक हल खोजने की दिशा में एक संगठन बनाकर काम करने की इच्छा जताई. सुदर्शन जी ने उनकी हौसला आफजाई की पर उनकी मांग थी कि चूँकि संघ राष्ट्र हित के बारे में सोचने वाला सबसे बड़ा संगठन है इसलिये हमारी इच्छा है कि इस काम में संघ हमारा मार्गदर्शन करे. उनके इस अनुरोध को स्वीकारते हुए पूजनीय सुदर्शन जी ने संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक श्री इन्द्रेश कुमार को उनका मार्गदर्शन करने को कहा. तब से लेकर आजतक संघ प्रचारक इन्द्रेश जी मंच के मार्गदर्शन की भूमिका निभा रहे हैं. उनके कुशल अभिभावकत्व में मुस्लिम मंच ने देश-हित में कई बड़े और अद्भुत काम किये है जिसके ऊपर किसी अलग पोस्ट में लिखना बेहतर होगा...!!
इसलिये यह बात सबके समझने की है 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' मुसलमानों का, मुसलमानों द्वारा देश-हित में चलाया जा रहा संगठन है. श्री इन्द्रेश जी इस संगठन में सिर्फ़ मार्गदर्शक की भूमिका में है. "मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" संघ के आनुषांगिक संगठनों में नहीं है. संघ अपने अनुषांगिक संगठनों में अपने 'संगठन -मंत्री' नियुक्त करता है (जो भाजपा से लेकर abvp तक में देखे जा सकतें है). इसके अलावा संघ अपने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में अपने सभी अनुषांगिक संगठनों से वृत-निवेदन (रिपोर्टिंग) लेता है , मुस्लिम मंच को न तो संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बुलाया जाता है न ही उनसे वृत लिया जाता है, इसलिये यह बात बिलकुल स्पष्ट समझनी चाहिए कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" आर०एस०एस का अनुषांगिक संगठन नहीं है. इस संगठन में अपवाद स्वरुप ही कुछ हिन्दू पदाधिकारी हैं बाकी सारे पदों पर सब मुस्लिम ही हैं और इन्द्रेश जी इस संगठन के मार्गदर्शक हैं. इफ़्तार पार्टी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच दे रही है न कि आर०एस०एस या श्री इन्द्रेश जी. इन्द्रेश जी इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने वालें हैं और वहां शामिल होकर वो उनकी ठकुरसुहाती नहीं करने वाले बल्कि उन्हें देशभक्ति की शिक्षा, अपने हिन्दू पूर्वज, गाय, गंगा की सलामती और अमन का पैगाम देने वाले हैं...!!
बाकी जहाँ तक इन्द्रेश कुमार का सवाल है वो इस्लाम के चौदह सौ सैंतीस साल के इतिहास में शायद अकेले व्यक्ति हैं जो मुस्लिम समाज से हर उस मसले पर खिताब करतें है जिसके ऊपर मुंह खोलने की हिम्मत कोई सेकुलर तो दूर कोई मुस्लिम भी नहीं करता है...!!
उपरोक्त तथ्यों के बाद भी जो संघ को इस इफ़्तार कार्यक्रम का मेजबान और श्री इन्द्रेश कुमार को तुष्टीकरण करने वाला समझता या कहता है तो समझता और कहता रहे मुर्ख के चिल्लाने से संघ को कोई फर्क नही पड़ता जय श्री राम ......✍
आर०एस०एस और इन्द्रेश कुमार.....
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की तरफ से कल दिल्ली में आयोजित होने वाला इफ़्तार कार्यक्रम पिछले कई दिनों से मुख्यधारा मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. यूं तो रमजान के महीने में इफ्तार आयोजन सामान्य घटना है पर यह आयोजन इसलिये चर्चा में क्योंकि इसके साथ आर०एस०एस को संबद्ध बताया जा रहा है और कहा जा रहा कि संघ मुस्लिमों को रिझाने के लिये उन्हें दावते-इफ़्तार दे रहा है. मीडिया द्वारा लगातार चलाये जा रहे भ्रामक प्रचार के नतीजे में अब कई राष्ट्रवादी लेखक भी संघ को निशाने पर ले रहें हैं कि संघ भी अब तुष्टीकरण की क्षुद्र राजनीति में लिप्त हो गया है. इसलिये आवश्यक है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और संघ के संबंधों को समझा जाये...!!
इस शताब्दी के आरंभिक सालों में अल-कायदा और बिन लादेन नाम का नासूर पूरी मानवजाति के अस्तित्व के लिये संकट बना हुआ था, भारत समेत पूरी दुनिया आये दिन आतंकवादी हमलों का शिकार हो रही थी. बिन लादेन के प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं था. दिल्ली समेत कई शहरों में बिन-लादेन के समर्थन में जूलूस निकाले जाते थे और नारे लगते थे. गुलाम रसूल बलियावी जैसे नेता तो बाकायदा लादेन के हुलिये में नेताओं के साथ नज़र आते थे. ऐसे में मुस्लिम समाज का प्रबुद्ध वर्ग जो इन सबसे आहत था और कसमसा रहा था कि इस्लाम के साथ चस्पां हो चुकी आतंक की इस छवि को मिटाया जाये. इसी कशमकश में 24 दिसंबर, 2002 को दिल्ली में पद्मश्री मुज़फ्फर हुसैन और उतनी धर्मपत्नी नफ़ीसा की कोशिशों से दीपावाली-ईद मिलन कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें संघ की ओर से तत्कालीन सरसंघचालक पू० सुदर्शन जी, मदनदास देवी जी, श्री इन्द्रेश जी समेत संघ और विहिप के कई बड़े नेता और मुस्लिम समाज की ओर से मौलाना वहीदुद्दीन खान, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के सदर मौलाना जमीर इलियासी, फतेहपुरी मस्जिद के मौलाना मुकर्रम समेत कई बड़े उलेमा और बुद्धिजीवी शामिल हुए. कार्यक्रम में तत्कालीन सरसंघचालक सुदर्शन जी ने उपस्थित मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्दिजीवियों के सामने एक प्रश्न रखा कि इस्लाम का अर्थ तो अमन और सलामती है पर दुनिया ने पिछले 1400 वर्षों में इसका बर्बर, हिंसक और जिहादी रूप ही देखा है तो क्या ये आप लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि आप दुनिया को इस्लाम का अमन और सलामती वाला चेहरा दिखाये....??
सुदर्शन जी की बात वहां मौजूद कई लोगों के जेहन में घर कर गई और उनलोगों ने पत्राचार के माध्यम से सुदर्शन जी से लगातार संवाद जारी रखा और इस संवाद के पश्चात् उनमें से कुछ लोग उनके पास आये और देशहित में काम करने, आतंकवाद का विरोध करने तथा हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य की बातों का सार्थक हल खोजने की दिशा में एक संगठन बनाकर काम करने की इच्छा जताई. सुदर्शन जी ने उनकी हौसला आफजाई की पर उनकी मांग थी कि चूँकि संघ राष्ट्र हित के बारे में सोचने वाला सबसे बड़ा संगठन है इसलिये हमारी इच्छा है कि इस काम में संघ हमारा मार्गदर्शन करे. उनके इस अनुरोध को स्वीकारते हुए पूजनीय सुदर्शन जी ने संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक श्री इन्द्रेश कुमार को उनका मार्गदर्शन करने को कहा. तब से लेकर आजतक संघ प्रचारक इन्द्रेश जी मंच के मार्गदर्शन की भूमिका निभा रहे हैं. उनके कुशल अभिभावकत्व में मुस्लिम मंच ने देश-हित में कई बड़े और अद्भुत काम किये है जिसके ऊपर किसी अलग पोस्ट में लिखना बेहतर होगा...!!
इसलिये यह बात सबके समझने की है 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' मुसलमानों का, मुसलमानों द्वारा देश-हित में चलाया जा रहा संगठन है. श्री इन्द्रेश जी इस संगठन में सिर्फ़ मार्गदर्शक की भूमिका में है. "मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" संघ के आनुषांगिक संगठनों में नहीं है. संघ अपने अनुषांगिक संगठनों में अपने 'संगठन -मंत्री' नियुक्त करता है (जो भाजपा से लेकर abvp तक में देखे जा सकतें है). इसके अलावा संघ अपने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में अपने सभी अनुषांगिक संगठनों से वृत-निवेदन (रिपोर्टिंग) लेता है , मुस्लिम मंच को न तो संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बुलाया जाता है न ही उनसे वृत लिया जाता है, इसलिये यह बात बिलकुल स्पष्ट समझनी चाहिए कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच" आर०एस०एस का अनुषांगिक संगठन नहीं है. इस संगठन में अपवाद स्वरुप ही कुछ हिन्दू पदाधिकारी हैं बाकी सारे पदों पर सब मुस्लिम ही हैं और इन्द्रेश जी इस संगठन के मार्गदर्शक हैं. इफ़्तार पार्टी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच दे रही है न कि आर०एस०एस या श्री इन्द्रेश जी. इन्द्रेश जी इसमें बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने वालें हैं और वहां शामिल होकर वो उनकी ठकुरसुहाती नहीं करने वाले बल्कि उन्हें देशभक्ति की शिक्षा, अपने हिन्दू पूर्वज, गाय, गंगा की सलामती और अमन का पैगाम देने वाले हैं...!!
बाकी जहाँ तक इन्द्रेश कुमार का सवाल है वो इस्लाम के चौदह सौ सैंतीस साल के इतिहास में शायद अकेले व्यक्ति हैं जो मुस्लिम समाज से हर उस मसले पर खिताब करतें है जिसके ऊपर मुंह खोलने की हिम्मत कोई सेकुलर तो दूर कोई मुस्लिम भी नहीं करता है...!!
उपरोक्त तथ्यों के बाद भी जो संघ को इस इफ़्तार कार्यक्रम का मेजबान और श्री इन्द्रेश कुमार को तुष्टीकरण करने वाला समझता या कहता है तो समझता और कहता रहे मुर्ख के चिल्लाने से संघ को कोई फर्क नही पड़ता जय श्री राम ......✍
Iftar Party organized by Muslim
Rashtriya Manch….
RSS and Indresh Kumar…
For last many days, social and main
stream media is keenly debating the Iftar party being organized by Muslim
Rashtriya Manch in Delhi. Though it is quiet usual to conduct iftar
party during Ramzan month, it becomes unusual when RSS’s name gets
associated with this event. It is being said that RSS is organizing this event
to attract Muslim’s in its fold. Thanks to this misleading tirade by media that
some nationalist writers are also pointing their guns towards RSS saying that Sangh
too is getting involved in petty politics of Muslim appeasement. In light of
this misinformed propaganda, it is prudent that relationship between RSS and Muslim
Rashtriya Manch is put into perspective.
Beginning of this century saw the
uprising of Al-Qaeda and Bin Laden. This canker posed a serious threat to whole
humanity. Not only India but the whole world was facing the consequences of
terrorist attacks carried out by this group. India was also not untouched from
this menace. Many in Delhi and other cities were lauding and taking out
processions in support of the same. Likes of Gulam Rasul Baliyavi were
hobnobbing with political class of the country in an attire similar to Bin
Laden’s. In such times, a group of Muslim Intelligentsia was felling
strangulated with the feeling of Islam getting synonymous with terror. Amidst
this dilemma, PadmaSri Muzzafar Hussain and his wife Nafisa
organized a Diwali-Eid gathering on 24th December 2002 which
was attended by many Sangh and VHP leaders such as the then SarsanghChalak
Pujyaniya SudarshanJi, MadanDas Devi Ji and Shri Indresh Ji. This
event was graced by many tall Muslim leaders and intellectuals as well such as Maulana
Vahiduddin Khan, Maulana Jammer Ilyasi (Head of All India Imam Council) and
Maulana Mukkaram of Fatehpuri Masjid. In this gathering SudarshanJi
posed a question to all present Muslim religious and intellectual leaders; If
Islam stands for peace and harmony, then why only barbaric, violent and Jihadi
face of Islam is so visible in last 1400 years? Isn’t it the responsibility of
Muslim leadership to portray peaceful and harmonious face of Islam to the
world?
This thought got assimilated in many
who were present there. This instigated a regular communication with SudarshanJi
on this matter. All these efforts culminated into an Idea of establishing an
organization which can work for nation, for oppressing all terror thoughts and
for Hindu-Muslim harmony. SudarshanJi encouraged the idea. And that is
how Muslim Rashtriya Manch came into existence. However Muslim
leadership sought assistance and guidance of Sangh as they thought
Sangh to be the biggest organization working towards the betterment of
nation. Conceding the demand, SudarshanJi deputed a senior
Prachrak Shri IndreshJi for the same. Since then IndreshJi is
acting as a Guide for this purpose. Under his guidance, Muslim Rashtriya
Manch could accomplish many tasks beneficial to society whose detailed
testimony may need other write-up.
Hence we need to understand that Muslim
Rashtriya Manch is an organization of muslins and by Muslims working
towards the betterment of nation. Shri IndreshJi is just an advisor and
guide for the same. Muslim Rashtriya Manch is not an organization
derived out of Sangh. Sangh deputes its representatives in all its
derived organization. This arrangement can be seen in all derived organizations
ranging from ABVP to BJP. All these derived organizations are mandated to
report their activities and progress in ABPS (Akhil Bhartiya Pratinidhi
Sabha) meeting. However there is no such mandate for Muslim Rashtriya
Manch. They are neither invited nor report their activities in ABPS. Hence
it is evidently clear that Muslim Rashtriya Manch is not derived out of
RSS. Barring few exceptions all office bearers of this organization are
Muslims. Iftar party is being organized by Muslim Rashtriya Manch and
not by RSS or IndreshJi. Indresh Ji will be attending this
program as chief guest. His intent is not to draw any special attention there
but to remind everybody of their patronage towards nation, Hindu ancestry, cow
protection, Ganga preservation and harmony. As far as Indresh Ji is concerned,
he is probably one of those few who in the 1400 years history of Islam has the
courage to speak on issues bothering Muslim society. These are issues on which
even Muslims don’t dare to talk, forget seculars.
Even after above explanation,
somebody decides to declare RSS as host of this program and Indresh Ji as an
appeaser, there is nothing much Sangh would like to explain further and will leave it to the good wisdom of people.
|
0 Comments