Vision document 2015 of Vanavasi Kalyan Ashram released by RSS General Secretary, Bhaiyya Ji



नीति दृष्टिपत्र – 2015 को प्रभावी ढंग से लागु करने से देश को तोड़ने वाली शक्तियां स्वतः बिखर जायेंगी – भैय्या जी जोशी


नई दिल्ली, 21 मार्च, 2016 (इंविसंके). अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा भारत के जनजातियों के लिए तैयार किए गये “नीति दृष्टिपत्र – 2015” का लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्या जी जोशी ने कहा कि “नीति दृष्टिपत्र – 2015” के बारे में मैं सिर्फ दो बाते कहूँगा. एक तो को इसे बहुत ही जमीन से जुड़े लोगों ने बनाया है एवं दुसरा ये कि नीति दृष्टिपत्र जिनके हाथों में जाना चाहिए, उनके हाथों में जा रहा है. अर्थात शासन के लोगों के हाथ में जाना चाहिए और शासन के लोग इस नीति दृष्टिपत्र -2015 को अपने हाथों में लेने यहाँ खुद आये हुए हैं. इससे मालूम होता है कि मौजूदा केंद्र सरकार इस देश के वनवासी बहन-भाइयों के विकास और उत्थान के लिए कितनी सजग, तत्पर एवं दृढ संकल्पित है.  


उन्होंने आगे कहा कि यह नीति दृष्टिपत्र – 2015 इस देश के 10 करोड़ वनवासी बहन-भाइयों के लिए है. इस नीति दृष्टिपत्र – 2015 के आने से और इसको लेकर मौजूदा सरकार की तत्परता को देखते हुए. मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि – “आज समाज में सामाजिक उत्थान की प्रक्रिया के युग की शुरुआत हो गई.” ऐसा इसलिय क्योंकि जब मैं इस नीति दृष्टिपत्र का अवलोकन कर रहा था. तब इसमें मैंने पाया कि इसमें वनवासियों के लिए सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के विभिन्न पहलुओं के महत्व को समझते हुए उनकी स्थितियों को सुधारने के लिए विस्तार से सुझाव एवं संस्तुतियों को प्रस्तुत किया गया है एवं कैसे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन एवं लघु वनोपज के माध्यम से वनवासी समुदाय, संस्कृति और पर्यावरण ये तीनों समुचित रूप से सुरक्षित रह सकते हैं. इसके लिए भी महत्वपूर्ण सुझावों के साथ उसका निदान भी बताया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय जनजाति नीति, वन अधिकार कानून, संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची एवं राज्यपालों की भूमिका, पंचायत-पैसा कानून, विस्थापन एवं पुनर्वास आदि अनेक विषयों को पुरजोर तरीके से इस नीति दृष्टिपर – 2015 में शामिल किया गया है.  

वनवासी बहन-भाइयों के योगदान को बताते हुए भैय्या जी कहा कि वनवासी समुदायों ने देश के अपेक्षाकृत अर्वाचीन इतिहास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. यह समाज भारतीय समाज की मुख्य धारा से कभी दूर नहीं रहा है. यह दृष्टिपत्र वनवासी बहन-भाइयों को उनकी विशिष्टताओं के साथ भारतीय समाज एवं राष्ट्र को गौरवशाली, संम्पन एवं अभिन्न अंग बनाए रखने में मिल का पत्थर साबित होगा. 

देश के अंदर तोड़ने वाली शक्तियां पहले से ही प्रभावित रही हैं. अगर, उन्हें रोकना है तो यह “नीति दृष्टिपत्र – 2015” को प्रभावी ढंग से लागु करनी होगी. तो वो विध्वंसक शक्तियां ऐसे बिखरेंगी, जिसकी कल्पना वो कभी सपनों में भी नहीं की होंगी. अब कर्तव्य-निष्ठा देशवासियों के अंदर जाग चुकी है. इस नीति दृष्टिपत्र का उद्देश्य तभी सार्थक हो पायेगा. जब वनवासी समाज समान रूप से भारतीय मुख्य धारा का एक अमूल्य एवं गौरवशाली भाग बनते हुए देश के विकास में बराबरी का सहभागी बनेगा. 

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव ने इस मौके पर कहा कि यह नीति दृष्टिपत्र – 2015 असंख्य लोगों के कठिन परिश्रम का परिणाम है. मैं उन सभी लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ. उन्होंने आगे कहा कि जनजातियां भारतीय समाज का अभिन्न एवं महत्वपूर्ण अंग हैं. प्राकृतिक रूप से विशिष्ट वातावरण में रहने के कारण उनकी अपनी सामुदायिक, सांस्कृतिक, भाषागत, तकनीकी एवं आर्थिक विशेषताएं विकसित हुई. दूसरी ओर भारतीय समाज एवं राष्ट्र के अभिन्न अंग के रूप में उनकी अपने आसपास के वृहद् समाज की जीवन पद्धति एवं रहन-सहन में भी भागीदारी रहती है. उनकी ये विशिष्टताएं और समानताएं दोनों महत्वपूर्ण हैं, दोनों का सम्मान हो, दोनों को मान्यता मिले, दोनों पर हमें गर्व एवं आनंद हो, यह आवश्यक है. अपना जनजाति समाज इन भिन्नताओं और समानताओं को सहेज कर रखते हुए देश के प्रति अपनी भागीदारी और योगदान कर सकें, यह देश के सम्मुख बड़ी चुनौती है. वनवासी कल्याण आश्रम जनजातियों के प्रति ऐसी ही दृष्टि रखता है. हमारा प्रयास एवं आकांक्षा है कि भारत की जनजातियां अपनी सहज विशिष्टताओं के साथ भारत के अभिन्न अंग के रूप में गौरव प्राप्त करें. नीति दृष्टिपत्र – 2015 भी इसी उद्देश्य को समर्पित है.    

माननीय जनजाति कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने लोकापर्ण के मौके पर कहा कि आज जिस विषय पर चर्चा हो रही है वो अति आवश्यक है. ऐसी चर्चा और इन विषयों पर चर्चाओं का परिणाम यह निश्चित करेगा कि हम देश को किस प्रकार बनाना चाहते हैं. भारत के जनजातियों के निर्धनता, पलापन, कुपोषण एवं संसाधनों व अवसरों को नकारने का अंत इस नीति दृष्टिपत्र -2015 से सुनिश्चित होगा. जनजाति समुदाय में दो मुख्य समस्या है – स्वास्थ्य एवं शिक्षा. यह दो उन्हें उपलब्ध हो जाए तो इस देश के जनजाति बहन-भाइयों की सब समस्याओं का समाधान स्वतः हो जायेगा. इन दोनों समस्याओं का समाधान इस दृष्टिपत्र में जिसप्रकार से बताया गया है. उसपर मैं और मेरा मंत्रालय तत्परता एवं लगन के साथ अमल कर उचित दिशा में कार्य करेंगे. 
भारत सरकार में उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास के माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह नीति दृष्टिपत्र जनजातियों के लिए नई प्रक्रिया और नए युग का शुभारंभ है. इस नीति दृष्टिपत्र पर माननीय जनजाति कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम द्वारा अमल कर कार्य करने की वचन देना वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर होती है कि वह जनजातियों के उत्थान के लिए समर्पित है. जनजाति समाज को अपने अहले वतन, अपने समाज पर नाज है और ये स्वाभाविक भी है. जनजाति समाज और उनके सभ्यता-संस्कृति एवं वर्तमान दशा के उत्थान के लिए यह सरकार संकल्पित एवं समर्पित है. 
अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा भारत के जनजातियों के तैयार किए गये “नीति दृष्टिपत्र – 2015” का लोकार्पण आज सायं नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हॉल में संम्पन हुआ. इसमे मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्या जी जोशी, विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार में ग्रामीण विकास एवं प.रा. मंत्री माननीय चौ. बिरेन्द्र सिंह, भारत सरकार में उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास के माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जितेन्द्र सिंह, भारत सरकार में मंत्री पर्यावरण, वन एवं ज.प. माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर उपस्थित रहें. विशेष उदबोधन माननीय जनजाति कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम एवं अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव जी ने दिया. इनके आलावा चंद्रकांत देव, महामंत्री, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम एवं विष्णुकांत जी महामंत्री, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के साथ-साथ वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष श्री शांतिस्वरूप बंसल जी एवं वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली प्रांत के महामन्त्री श्री राकेश गोयल जी भी उपस्थित रहें.   

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