भारत की सभ्यता व
संस्कृति की सुरक्षा के संकल्प के साथ विश्व हिन्दू कांग्रेस सम्पन्न
नई दिल्ली. तीन
दिवसीय पहली विश्व हिन्दू कांग्रेस का समापन आज यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
सरकार्यवाह श्री सुरेश (भय्याजी) जोशी के
इस आह्वान के साथ हुआ कि भारत की सभ्यता और संस्कृति को विश्व भर में सुरक्षित रखते
हुए सारे विश्व के समक्ष अपनी पहचान बनाये रखने की चुनौती का डटकर मुकाबला किया
जाये. सरकार्यवाह ने विश्वास व्यक्त किया कि संसार के कोने – कोने से यहां आये प्रतिनिधियों
के माध्यम से सारा विश्व हिन्दुत्व को समझेगा और वह हिन्दुत्व के साथ खड़ा होगा.
श्री भय्याजी
जोशी ने कहा, “ हमारी आइडेंटिटी क्या है,
यह दो शब्दों से व्यक्त होती है, सभ्यता एवं संस्कृति. इसलिये आज कोई चुनौती है,
तो इस सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित रखते हुए
सारे विश्व के सामने हम अपनी पहचान बनाये रखें. हमने सारे विश्व को एक संदेश दिया
है. जो दुर्बल हैं उन दुर्बलों की सुरक्षा करना, ऐसे दुर्बलों की रक्षा करने लिये हिन्दू समाज है. केवल
दुर्बलों की ही रक्षा नहीं, प्रकृति की रक्षा
भी सारे विश्व को भारत का संदेश है. टु प्रोटेक्ट अवर नेचर, दिस इज अवर कल्चर. इसी
को बचाकर रखना है. पूरी दुनिया में अगर कोई चुनौती है, कोई प्रश्न है तो यही है कि
शेष विश्व शांति के मार्ग पर कैसे चलेगा.”
सरकार्यवाह ने
कहा कि अगर कुछ संकट है तो वह यही है कि दुनिया भर में अपनी पहचान को सुरक्षित
कैसे रखा जाये. उन्होंने कांग्रेस में भाग
लेने वाले प्रतिनिधियों को हिन्दू समाज के प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि उन्हें पशुता
की ओर बढ़ती विश्व-प्रवृति को मानवता का और संकीर्णता के बजाय उदार व व्यापक हिंन्दू
विचार के संदेश पूरे विश्व को देने का आह्वान किया, क्योंकि यही विश्व की शांति और
कल्याण का रास्ता है.
भय्या जी ने
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी
बाजपेयी की एक कविता की यह पंक्ति उद्धृत की ‘कभी एक थे हम हुए
आज इतने, नहीं तब डरे थे
तो अब क्या डरेंगे. वंदन करते हैं भविष्य का, वर्तमान है अपना,’ और कहा इस देश की
और हिन्दू समाज की स्थिति को बदलने के लिये ही यह काम शुरू हुआ है. उन्होंने कहा, “ हिन्दू सोसायटी इज ग्रोइंग, स्ट्रैंथनिंग, आई थिंक इट इज ओनली ए स्टेज ऑॅफ हिन्दू सोसायटी टु कम. यही
इसकी नियति है, यही इसके भाग्य में है”.
समापन सत्र में
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा
कि परिषद को शिक्षा, चिकित्सा और बिछुड़े बंधुओं को पुन: अपने साथ लाने के काम पर ध्यान केन्द्रित करना
समय की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि न केवल भारत में बल्कि सारी दुनिया में बहुत
बड़ी संख्या में हिंदुओं को भय, लालच और दबाव में ईसाई और इस्लाम धर्म में
धर्मांतरित किया गया है. परिषद ऐसी कार्य योजना बना रही है जिससे हरप कस्बे और नगर
में हिंदुओं को पूरी सुरक्षा हासिल हो.
समापन सत्र में
विभिन्न प्रतिनिधियों ने हिन्दू समाज को मजबूत बनाने के लिये संक्षेप में अपने
विचार और सुझाव भी प्रस्तुत किये.
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