इलाहाबाद, कुंभनगर : विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संरक्षक अशोक सिंहल कुंभ पर्व को अपने संगठन की दृष्टि से टर्निग प्वाइंट मान रहे हैं। उनका दावा है कि कुंभ के बाद विहिप संतों के नेतृत्व में 1992 में हुए राम मंदिर आंदोलन से बड़ा शौर्य प्रदर्शन करेगी महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचे सिंहल से शरद द्विवेदी ने बातचीत की- -कुंभ मेला विहिप के लिए कितना खास है? -कुंभ में विहिप के लाखों कार्यकर्ता एक स्थान पर एकत्रित होकर खुद के आंदोलनों की समीक्षा करने के साथ ही आगे की रणनीति तैयार करेंगे। हमें हजारों संतों का सान्निध्य मिलेगा। संत सम्मेलन में संतों से मिले मार्गदर्शन के आधार पर ही हम अपना अगला कदम उठाएंगे, ताकि हिंदू समाज की अस्मिता की रक्षा हो सके। -आपकी नजर में हिंदुओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है? -हिंदुओं की जनसंख्या लगातार कम हो रही है। बांग्लादेश से घुसपैठ बढ़ रही है। यह स्थिति खतरनाक है। सरकार मंदिरों को अधिगृहीत कर रही है, जिसे मुक्त कराना आवश्यक है। गाय काटी जा रहीं हैं। गंगा प्रदूषित हैं। यमुना का हाल भी बुरा है। यह सनातन संस्कृति पर आक्रमण है। -आपने राम मंदिर का मुद्दा उठाया, जो अधर में है। आपको नहीं लगता कि इससे विहिप के प्रति लोगों में विश्र्वास कम हुआ है? -राम मंदिर को लेकर हमारी प्रतिबद्धता पहले की तरह है, रामलला तिरपाल में हैं। इसका सबसे अधिक दुख मुझे है। मामला कोर्ट में है। हमें पूरा विश्वास है कि विजय हिंदू समाज की होगी। सन 1992 में हुए राम मंदिर आंदोलन के बाद विहिप लगातार कमजोर क्यों हुई? -यह आपको लगता होगा, हमारी रैलियों-सभाओं में लाखों लोग आते हैं। विहिप का हर अभियान आम जनता के बल पर ही चलता है। हम जल्द ही संतों के नेतृत्व व आम जनता के साथ 1992 में हुए शौर्य प्रदर्शन से बड़ा आंदोलन करने वाले हैं। -कब होगा ऐसा प्रदर्शन? -उसका समय करीब है, सिर्फ इतना ही जानिए। -कुछ संतों का आरोप है कि विहिप अपनी सुविधानुसार शंकराचार्य बनाती है? -(हंसते हुए) शंकराचार्य पद की अपनी मर्यादा और परंपरा है, जिसका विहिप से कोई लेना देना नहीं है। अगर कोई ऐसा सोचता है तो यह उनकी समस्या है। विहिप के लिए हर संत व शंकराचार्य सम्माननीय हैं। -अगर ऐसा है तो राम मंदिर आंदोलन के बाद संत विहिप से किनारा क्यों करने लगे, कुछ ने सामूहिक रूप से आपकी नीतियों का विरोध किया है? -राम मंदिर का आंदोलन हमने संतों के नेतृत्व में चलाया। आज भी विहिप का हर काम संतों के मार्गदर्शन में होता है, संतों के आशीर्वाद के बिना हम एक कदम आगे नहीं चलते। राम मंदिर आंदोलन का श्रेय भी संत समाज को जाता है। इसमें नाराजगी का कोई सवाल ही नहीं है। -विहिप ने गाय और गंगा की रक्षा का बीड़ा उठाया है, इसे कैसे पूरा कर पाएंगे, जबकि राम मंदिर का मामला अभी लटका है? -केंद्र में हिंदुत्ववादी सरकार बनने पर हर समस्या का समाधान हो जाएगा। मुझे विश्र्वास है कि अगली सरकार ऐसी ही बनेगी।
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